अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन
कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य का संघर्ष शक्ति समाप्त हो जाती है। कर शपथ की पुनरावृत्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य को लक्ष्यप्राप्ति के पथ पर बाद में आने वाली कठोर परिस्थितियों से पीछे नहीं हटना चाहिए तथा लथपथ के प्रयोग द्वारा वह यह कहना चाहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य केंद्रित कर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। बार-बार इन शब्दों का प्रयोग कवि ने अपने लक्ष्य पर बल देने लिए किया है इसके अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न हो गया है।
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