अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन
कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहते हैं कि संघर्षशील मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुखरूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ्ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाईयों से बचने लगता है इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाईयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।
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