गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर
प्रकृति का चित्रण करते हुए कवि बताता है कि वन के सुनसान वातावरण में नदी तीव्र गति से बहती चली जा रही है। ऐसा लगता है कि वह अपनी व्यथा अपने किनारों से कह रही है और अपना दिल हल्का कर रही है। तट पर एक गुलाब का पौधा है जो किसी सोच-विचार में मग्न है। पास में नदी बह रही है। इसके किनारे पर गुलाब चुपचाप खड़ा हुआ है। फिर प्रकृति के साथ पशु-पक्षी का गहरा संबंध है। उनका जीवन प्रकृति पर निर्भर होता है और प्रकृति से ही उन्हें भोजन मिलता है तथा प्रकृति ही उन्हें सहारा देती है। ये प्रकृति में अपना घोंसला (निवास स्थान) बनाते हैं।
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