गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर
जब प्रेमी प्रेम के गीत गाता है तब उसकी प्रेमिका घर छोड़कर उसके पास चली आती है। वह नीम की छाया में छिपकर उसका मधुर गीत सुनती है। तब उसकी यह इच्छा होती है कि वह भी उसके गीत की पंक्ति बन जाए। वह उस पंक्ति में डूबकर खो जाती है और उसको गुनगुनाना शुरु कर देती है।
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