एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
भाव पक्ष- सुखिया का पिता अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए अपनी मृत बालिका को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि हे प्रिय बेटी सुखिया! मैं तुझे अंतिम बार अपनी गोद में न ले सका। तुमने अंतिम समय में देवी माँ के मंदिर के प्रसाद का एक फूल मुझसे माँगा था। मैं अभागा वह नन्हा-सा फूल भी लाकर न दे सका मैं सममुच अभागा पिता हूँ। अछूत होने के कारण मैं सचमुच अभागा इन्सान हूँ।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area