एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
भाव पक्ष- सुखिया के पिता ने सिर झुकाकर इस दंड को स्वीकार कर लिया। उस पर जो आरोप लगाया गया था, वह उसका क्या उत्तर देता। वह अपनी रक्षा में क्या कहता! उसे कुछ न छा। वह सात दिनों तक जेल में रहा। उसके लिए ये सात दिन सैकड़ों वर्षा के समान भारी थे। उसकी आँखो से निरंतर आँसू बहते रहे। उनकी वेदना कम नहीं हुई।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area