एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त

Question

निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए
क्रमश: कठ क्षीण हो आया,
शिथिल हुए अवयव सारे,
बैठा था नव-नव उपाय की
चिंता में मैं मनमारे।
जान सका न प्रभाव सजग से
हुई अलस कब दोपहरी,
स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा,
कब आई संध्या गहरी।

Answer

भाव पक्ष- सुखिया का पिता सुखिया की बीमारी का वर्णन करने हुए कहता है कि धीरे- धीरे महामारी का प्रभाव बढ़ने सुखिया का गला सूखने लगा, आवाज कमजोर पड गई और सभी अंग ढीले पड़ने लगे। मैं चिन्ता में डूबा हुआ मन से उसे ठीक करने के नए-नए उपाय सोचेने लगा। में मैं डूब गया कि पता ही नही चल सका कि कब ‘प्रात: कौल की हलचल समाप्त हुई और भरी -दोपहर आ, कब सुनहरी बादलों मे डूब गया और कब गहरी सांझ हुई?

Sponsor Area

Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/ बिंबों को. छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: अंधकार की छाया
(i) .........................     (ii) ..........................
(iii) ........................      (iv)..........................
(v) .........................

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीती।

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी

सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का एक फूल क्यों माँगा?

मंदिर के सौन्दर्य का वर्णन अपने शब्दों में करो।

सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?

इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?