एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
भाव पक्ष- सुखिया का पिता सुखिया की बीमारी का वर्णन करने हुए कहता है कि धीरे- धीरे महामारी का प्रभाव बढ़ने सुखिया का गला सूखने लगा, आवाज कमजोर पड गई और सभी अंग ढीले पड़ने लगे। मैं चिन्ता में डूबा हुआ मन से उसे ठीक करने के नए-नए उपाय सोचेने लगा। में मैं डूब गया कि पता ही नही चल सका कि कब ‘प्रात: कौल की हलचल समाप्त हुई और भरी -दोपहर आ, कब सुनहरी बादलों मे डूब गया और कब गहरी सांझ हुई?
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