एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि निरंतर सात दिन तक अपनी पुत्री से दूर रहने के कारण सुखिया के पिता की आँखों से लगातार आँसुओं की धारा बहती रही, किन्तु फिर भी उसकी आँखों के आँसू समाप्त नहीं हुए अर्थात् उसके मन की पीड़ा आँसुओ के रूप में निरन्तर बहती रही।
अर्थ-सौन्दर्यः कवि ने इस पंक्ति. निरन्तर रोते रहने की दशा को अभिव्यक्त किया है। बादल लगातार बरसते रहने से एक दिन सामाप्त हो जाते हैं किन्तु सुखिया के पिता के आँसू थे कि वे एक पल के लिए भी थमें नहीं थे।
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