अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास
निम्नलिखित पद्यांश का शिल्प सौन्दर्य लिखिए ।
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन मोरा, जैसे चितवत चद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन सती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।
शिल्प सौन्दर्य:
1. विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कवि ने भक्ति के विविध रूपों में चित्रित किया है। प्रभु का कण-कण में वास है।
2. पद की भाषा ब्रज है। अवधी व राजस्थानी मिश्रित भाषा का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरस, सहज व रोचक है।
4. पद की शैली भावात्मक व उदाहरणात्मक है।
5. पद में लयात्मकता का गुण विद्यमान है।
6. तुलनात्मक भावों द्वारा उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है।
7. शाब्दिक सौन्दर्य सर्वत्र दिखाई देता है।
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रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
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