तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी

Question

'अतिथि देवो भव ' उक्ति की व्याख्या करें तवा आधुनिक युग के सदंर्भ में इसका आकलन करें?

Answer

इस उक्ति का अर्थ है कि अतिथि देवता के समान होता है। यह उक्ति पहले समय में कभी ठीक रही होगी। आधुनिक युग में यह उक्ति उचित प्रतीत नहीं होती। आज लोगों के पास अपने लिए समय नहीं है। वे अतिथियों के स्वागत-सत्कार के लिए समय कैसे निकाले? आज के लोग कमाने, व्यापार बढ़ाने, कैरियर बनाने, पढ़ने-पढ़ाने में अधिक ध्यान देने लगे हैं। इसलिए आजकल अतिथि के आने पर उनकी खुशी बढ़ने की अपेक्षा कम होती है।

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Some More Questions From तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी Chapter

दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

(क) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
 अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआाँ काँप गया।

(क) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

(क) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

(ख) निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:
कौन सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा।