तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
'अतिथि देवो भव ' उक्ति की व्याख्या करें तवा आधुनिक युग के सदंर्भ में इसका आकलन करें?
इस उक्ति का अर्थ है कि अतिथि देवता के समान होता है। यह उक्ति पहले समय में कभी ठीक रही होगी। आधुनिक युग में यह उक्ति उचित प्रतीत नहीं होती। आज लोगों के पास अपने लिए समय नहीं है। वे अतिथियों के स्वागत-सत्कार के लिए समय कैसे निकाले? आज के लोग कमाने, व्यापार बढ़ाने, कैरियर बनाने, पढ़ने-पढ़ाने में अधिक ध्यान देने लगे हैं। इसलिए आजकल अतिथि के आने पर उनकी खुशी बढ़ने की अपेक्षा कम होती है।
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