तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
संक्रमण का अर्थ है-बदलाव। जैसे संक्रमेण काल अर्थात् एक स्थिति से दूसरी स्थिति में प्रवेश करना इस अवस्था को संधिकाल भी कहते है। इस स्थान पर आकर एक चीज अपना स्वरूप खो देती है तो दूसरा अपना स्वरूप ले लेती है। लेखक के साथ भी अतिथि के आने पर कुछ ऐसा ही हुआ। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुंचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। घर के लोगों की शांति भंग होने लगी। अतिथि का मन भले ही घर लौटने का न हो परन्तु उसे अपने घर की ओर चल देना चाहिए। इस प्रकार मधुर स्थितियों की कटुता को उजागर किया गया है।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area