धूल - रामविलास शर्मा
इस पंक्ति द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि धूल से सने बच्चे को गोद में उठाने वाला व्यक्ति धन्य है जो अपने शरीर से धूल को स्पर्श करते है। चाहे यह धूल उन बच्चों के माध्यम से उन्हें स्पर्श करती हो जिन्हें वह गोद में उठाए रहते हो। लेखक ने धूल की उपयोगिता और महिमा का वर्णन करते हुए ग्रामीण वातावरण में पले-बड़े बच्चों को धन्य बतलाया है क्योकि जिनका बचपन गाँव के गलियारों की धूल में बीता है, वे अवश्य ही धूल में खेले होंगे और उनके करता-पिता भी धन्य है जो धूल धूसरित अपने शिशु को अंग से लिपटा लेते है। और वह पवित्र धूल उनके शरीर को पवित्र कर देती है। इसलिए कवि ने उन्हे धूल भरे हीरे कहकर सम्बोधित किया है।
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