धूल - रामविलास शर्मा
(क) पाठ- धूल, लेखक का नाम-रामविलास शर्मा।
(ख) हीरे के प्रेमी हीरे को साफ-सुथरा, सुडौल, चिकना चमकदार, और औखों में चकाचौंध-पैदा करने वाला देखना चाहते हैं क्योंकि हीरा जितना अधिक सुडौल और चमकदार होगा-उसका मूल्य उतना ही अधिक होगा।
(ग) ‘धूलि भरे हीरे’ से तात्पर्य है-मातृभूमि की धूल में लिपटकर बीता हुआ बचपन। शिशु को जमीन पर खेलना अच्छा लगता है। जमीन पर खेलने से वह धूल मिट्टी से भर जाता है। उसका सारा शरीर धूल से सने होने के कारण उसे धूल भरे हीरे कहा गया है।
(घ) भूल के बिना शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। क्योंकि शिशु को धूल से बचाकर रखा ही नहीं जा सकता। वह किसी न किसी बहाने जमीन पर खेलेगा और धूल से लथपथ हो जाएगा।
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