जहाँ पहिया है
साइकिल आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं में निम्न बदलाव आए-
1. स्त्रियों में आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई।
2. वे रूढ़िवादिता व पुरुषों द्वारा थोपे गए रोजमर्रा के घिसे-पिटे दायरे से बाहर निकल सकीं।
3. इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला अब उन्हें कहीं भी जाने हेतु किसी का मुँह नहीं ताकना पड़ता।
4. इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई वे अगल-बगल के गाँवों में भी उत्पाद बेचने जा सकती हैं।
5. अब महिलाओं के समय की भी बचत हो जाती थी जिससे वे सामान बेचने पर ध्यान केंद्रित कर पाती हैं।
6. उन्हें आराम करने का भी समय मिल जाता है।
7. साइकिल से घरेलू कार्यो को भी सुचारू रूप से करने में महिलाएँ सक्षम हो गई हैं जैसे घरेलू सामान लाना। बच्चों की देखभाल व पानी भरना आदि।
8. सबसे बड़ी बात वे साइकिल को अपनी ‘आजादी का प्रतीक’ मानती हैं।
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