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जहाँ पहिया है
इस पाठ का अन्य शीर्षक हो सकता है- ‘सुनहले दिन’। सुनहले दिन शीर्षक भी उपयुक्त है क्योंकि साइकिल चलाना सीखने से पुड़ुकोट्टई नामक स्थान के महिला समाज में ऐसी जागृति आई कि उनके दिन ही बदल गए। बंधनों व रूढ़िवादी जीवन बिताने वाली महिलाएँ साइकिल पर सवार होकर आज़ादी से घूमने लगी। यहाँ तक कि वे पूर्णतया आत्मनिर्भर भी हो गई।
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