चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
‘डाकिया’ ऐसा व्यक्ति है जो लोगों के लिए अपने झोले में पत्र लाता है। हर मनुष्य इसे देखकर अपने पत्र की चाह करने लगता है। इसे किसी बात की कोई चिंता नहीं होती कि पत्र के अंदर क्या संदेश है? इसे पढ़कर कोई खुश होगा या दुखी। वह तो पेशे के अनुरूप कर्तव्यबद्ध होता है। पत्रों को उनके पते तक पहुँचाना ही उसका काम है। यदि हम प्राकृतिक साधनों को देखें तो पाते हैं कि वे भी किसी डाकिए से कम नहीं। ईश्वर के ऐसे संदेश जो केवल हम महसूस करते हैं, इनके द्वारा दिए जाते हैं। पक्षी जो स्वछंद उड़ते हैं उनके लिए देशों की सीमा-रेखाओं का कोई बंधन नहीं होता। वे फूलों की सुगंध को अपने पंखों द्वारा एक देश से दूसरे देश में पहुँचा देते हैं। बादल एक देश में बनते हैं और दूसरे देश में बरसते हैं। इसके क्या मायने हैं? यदि इस पर विचार करें तो पाएँगे कि ये इस बात का संदेश देते हैं कि लोगों को विश्व बंधुत्व की भावना से प्रेरित होना चाहिए सभी को मिलजुलकर आपसी सहयोग से रहना चाहिए।
इसके अतिरिक्त प्रकृति के जिस भी साधन को देखें तो वह संदेश देता ही दिखाई देगा। जैसे-किसी कवि ने सच ही कहा है कि-
फूलों से नित हँसना सीखो
भौरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से
सीखो नित शीश झुकाना।
वर्षा की बूँदों से सीखो
सबको गले लगाना।
सीख हवा के झोंकों से
लो, कोमल भाव जगाना।
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दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे-रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ+इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।
ह्र्स्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमश : दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे-संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा= महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम बस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका-शिक्षक को दिखाइए।
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