चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

Question
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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।

Solution

‘डाकिया’ ऐसा व्यक्ति है जो लोगों के लिए अपने झोले में पत्र लाता है। हर मनुष्य इसे देखकर अपने पत्र की चाह करने लगता है। इसे किसी बात की कोई चिंता नहीं होती कि पत्र के अंदर क्या संदेश है? इसे पढ़कर कोई खुश होगा या दुखी। वह तो पेशे के अनुरूप कर्तव्यबद्ध होता है। पत्रों को उनके पते तक पहुँचाना ही उसका काम है। यदि हम प्राकृतिक साधनों को देखें तो पाते हैं कि वे भी किसी डाकिए से कम नहीं। ईश्वर के ऐसे संदेश जो केवल हम महसूस करते हैं, इनके द्वारा दिए जाते हैं। पक्षी जो स्वछंद उड़ते हैं उनके लिए देशों की सीमा-रेखाओं का कोई बंधन नहीं होता। वे फूलों की सुगंध को अपने पंखों द्वारा एक देश से दूसरे देश में पहुँचा देते हैं। बादल एक देश में बनते हैं और दूसरे देश में बरसते हैं। इसके क्या मायने हैं? यदि इस पर विचार करें तो पाएँगे कि ये इस बात का संदेश देते हैं कि लोगों को विश्व बंधुत्व की भावना से प्रेरित होना चाहिए सभी को मिलजुलकर आपसी सहयोग से रहना चाहिए।

इसके अतिरिक्त प्रकृति के जिस भी साधन को देखें तो वह संदेश देता ही दिखाई देगा। जैसे-किसी कवि ने सच ही कहा है कि-

फूलों से नित हँसना सीखो
भौरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से
सीखो नित शीश झुकाना।
वर्षा की बूँदों से सीखो
सबको गले लगाना।
सीख हवा के झोंकों से
लो, कोमल भाव जगाना।

 

Some More Questions From चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Chapter

किसी के लिए बिना टिकट सावे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है? पता कीजिए।

पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे?

ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे?

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।

संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेशवाहक बनाकर ‘मेघदूत’ नाम का काव्य लिखा है। ‘मेघदूत’ के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।

पक्षी को संदेशवाहक बनाकर अनेक कविताएँ एवं गीत लिखे गए हैं। एक गीत है-’जा-जा रे कागा विदेशवा, मेरे पिया से कहियो संदेशवा’। इस तरह के तीन गीतों का संग्रह कीजिए। प्रशिक्षित पक्षी के गले में पत्र बाँधकर निर्धारित स्थान तक पत्र भेजने का उल्लेख मिलता है। मान लीजिए आपको एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो आप वह पत्र किसे भेजना चाहेंगे और उसमें क्या लिखना चाहेंगे।

केवल पड़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता ‘चिट्ठियाँ’ काे ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए।

किसी प्रयोजन विशेष से संबधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते है, जैसे-प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए।

‘व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बननेवाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए।

दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे-रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ+इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।
ह्र्स्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमश : दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे-संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा= महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम बस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका-शिक्षक को दिखाइए।