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चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
तीन गीतों का संग्रह-
1. कबूतर जा जा, जा, पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ।
2. पंछी, नदियाँ, पवन के झोंके, कोई सरहद न इन्हें रोके।
3. उड़जा काले कागा, तेरे मुंह विच खंड पावाँ
ले जा तू संदेशा मेरा मैं सदके जावाँ।
यदि मुझे एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो मैं वह पत्र ‘भगवान’ को भेजना चाहूँगा और उसमें यह लिखूँगा कि मेरे भारत देश में सदा अमन-शांति रहे, सभी लोग मिलजुल कर रहें व देश दिनों-दिन चौगुनी उन्नति करे।
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दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे-रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ+इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।
ह्र्स्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमश : दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे-संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा= महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम बस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका-शिक्षक को दिखाइए।
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