दीवानों की हस्ती

Question

जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए।

Answer

यह सही है कि जीवन में मस्ती अर्थात् मजा होना चाहिए क्योंकि इससे ही व्यक्ति जीवन मैं आनंद व हर्ष अनुभव करता है। लेकिन यदि हमारे द्वारा की गई मस्ती किसी को नुकसान पहुँचाए तो उसे हम मस्ती का नाम नहीं दे सकते।

हम बलि-वीरों की मस्ती को सर्वश्रेष्ठ व आनंददायक मानते हैं क्योंकि लाख कठिनाइयाँ सहने पर भी वे संतुष्ट व आनंदित रहते हैं। उनके हृदय में सदा आगे बढ़ने की चाह बनी रहती है। अपने जीवनकाल में कुछ विशेष कार्य करके वे लोगों के लिए प्रेरक बनना चाहते हैं।

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Some More Questions From दीवानों की हस्ती Chapter

एक भाव में रहकर सुख और दुख दोनों पीने का भावार्थ क्या है, कविता की पंक्तियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उन्होंने संसार को भिखमंगा क्यों कहा है?

वे हृदय पर असफलता की कैसी निशानी रखते हैं?

इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?

दीवानों की हस्ती कविता किन्हें आधार बनाकर लिखी गई है?

‘दीवाने’ एक स्थान पर टिक कर क्यों नहीं रहते?

‘दीवानों’ का संसार के लोगों से कैसा संबंध है?

वीरों ने संसार के लोगों को भीखमंगा क्यों कहा है?

वीरों के हृदय पर असफलता की कैसी निशानी है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चलें,
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।
आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चल अभी,
सब कहते ही रह गए. अरे,
तुम कैसे आए, कहाँ चले?

दीवाने शब्द किनके लिए प्रयुक्त किया गया है?