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नियोजित विकास की राजनीति

Question
CBSEHHIPOH12041330

''अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका पर ज़ोर देकर भारतीय नीति-निर्माताओं ने गलती की। अगर शुरुआत से ही निजी क्षेत्र को खुली छूट दी जाती तो भारत का विकास कहीं ज़्यादा बेहतर तरीके से होता।'' इस विचार के पक्ष या विपक्ष में अपने तर्क दीजिए।

Solution

विकास के दो जाने-माने मॉडल निजी क्षेत्र एवं सावर्जनिक क्षेत्र योजनाकारों के समक्ष थे। पूँजीवादी मॉडल में विकास का काम पूर्णतया निजी क्षेत्र के भरोसे होता है। भारत ने यह रास्ता नहीं अपनाया। भारत ने विकास का समाजवादी मॉडल भी नहीं अपनाया जिसमें निजी संपत्ति को खत्म कर दिया जाता है और हर तरह केउत्पादन पर राज्य का नियंत्रण होता है। इन दोनों ही मॉडल की कुछ एक बातों को ले लिया गया और अपने देश में इन्हें मिले-जुले रूप में लागू किया गया। अर्थात् भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया। 

यहाँ पर उपरोक्त प्रश्न में यह मुद्दा उठाया गया है कि प्रारंभ में अर्थव्यवस्था में राज्य की क्या भूमिका रही और यह कहा गया है कि प्रारंभ में भारतीय नीति-निर्माताओं ने राज्य की भूमिका को महत्वपूर्ण स्थान नहीं दिया। अगर शुरुआत में ही निजी क्षेत्र का पक्ष लिया जाता अर्थात् निजी क्षेत्र के मॉडल को अपनाया जाता तो भारत का विकास कहीं ज्यादा बेहतर होता। इस विचार के पक्ष व विपक्ष में तर्क निम्नलिखित हैं:

पक्ष- यदि भारतीय अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को छूट दी जाती तो भारत में औद्योगिक विकास अधिक होता,,जिससे देश के विकास में भी वृद्धि होती। देश में गरीबी पर भी कुछ हद तक नियंत्रण किया जा सकता था। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी भारत और भी आगे निकल सकता था तथा लोगों को रोजगार के अधिक अवसर भी मिलते।

विपक्ष- लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी के हितों का ध्यान रखने के बारे में विचार विमर्श होता हैं। निजी क्षेत्र में छूट देने से समाज में प्रतिस्पर्धा और प्रतियोगिता का वातावरण बना रहता हैं जिससे समाज के आर्थिक वर्गों के बीच असमानता एंव विषमताएँ बढ़ जाती हैं। निजी क्षेत्रों के अधिक आगमन से पूंजीपतियों का विकास होता हैं तथा सामाजिक न्याय की अवहेलना भी होती हैं। इतना ही नहीं निजी क्षेत्रों के हस्तक्षेप से कृषि की भी अवहेलना होती हैं।

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'बॉम्बे प्लान' के बारे में निम्नलिखित में कौन-सा बयान सही नहीं है?

भारत ने शुरूआती दौर में विकास की जो नीति अपनाई उसमें निम्नलिखित में से कौन-सा विचार 'शामिल नहीं था?

भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का विचार ग्रहण किया गया था:

(क) बॉम्बे प्लान से
(ख) सोवियत खेमे के देशों केअनुभवों से
(ग) समाज के बारे में गाँधीवादी विचार से
(घ) किसान संगठनों की माँगो से

निम्नलिखित का मेल करें

 

आज़ादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद क्या थे? क्या इन मतभेदों को सुलझा लिया गया?

पहली पंचवर्षीय योजना का किस चीज़ पर सबसे ज्यादा जोर था? दूसरी पंचवर्षीय योजना पहली से किन अर्थों में अलग थी?

हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रांति के दो सकरात्मक तथा दो नकरात्मक परिणामों का उल्लेख करें।

दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान औद्योगिक विकास बनाम कृषि विकास का विवाद चला था। इस विवाद में क्या-क्या तर्क दिए गए थे।

''अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका पर ज़ोर देकर भारतीय नीति-निर्माताओं ने गलती की। अगर शुरुआत से ही निजी क्षेत्र को खुली छूट दी जाती तो भारत का विकास कहीं ज़्यादा बेहतर तरीके से होता।'' इस विचार के पक्ष या विपक्ष में अपने तर्क दीजिए।

निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:

आजादी के बाद के आरंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ पनपी। एक तरफ राष्ट्रीय पार्टी कार्यकारिणी ने राज्य के स्वामित्व का समाजवादी सिद्धांत अपनाया। उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक संसाधनों के संकेंद्रण को रोकने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण और नियमन किया। दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार ने निजी निवेश के लिए उदार आर्थिक नीतियाँ अपनाईं और उसके बढ़ावे के लिए विशेष कदम उठाए। इसे उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की अकेली कसौटी पर जायज़ ठहराया गया।

                                                                                            - फ्रैंकीन फ्रैंकल 

(क) यहाँ लेखक किस अंतर्विरोध की चर्चा कर रहा है? ऐसे अंतर्विरोध के राजनीतिक परिणाम क्या होंगे?
(ख) अगर लेखक की बात सही है तो फिर बताएँ कि कांग्रेस इस नीति पर क्यों चल रही थी? क्या इसका संबंध विपक्षी दलों की प्रकृति से था?
(ग) क्या कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोध था?