हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रांति के दो सकरात्मक तथा दो नकरात्मक परिणामों का उल्लेख करें।
खाद्यान्न संकट के चलते भारत विदेशी खाद्य-सहायता पर निर्भर हो चला था, खासकर संयुक्त राज्य अमरीका के। संयुक्त राज्य अमरीका ने इसकी एवज में भारत पर अपनी आर्थिक नीतियों को बदलने के लिए ज़ोर डाला। सरकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कृषि की एक नई रणनीति अपनाई। जो इलाके अथवा किसान खेती के मामले में पिछड़े हुए थे, शुरू-शुरू में सरकार ने उनको ज़्यादा सहायता देने की नीति अपनाई थी। इस नीति को छोड़ दिया गया। सरकार ने अब उन इलाकों पर ज्यादा संसाधन लगाने का फैसला किया जहाँ सिंचाई सुविधा मौजूद थी और जहाँ के किसान समृद्ध थे। इस नीति के पक्ष में दलील यह दी गई कि जो पहले से ही सक्षम हैं वे कम समय में उत्पादन को तेज रफ्तार से बढ़ाने में सहायक हो सकतेहैं। सरकार ने उच्च गुणवता के बीज, उर्वरक, कीटनाशक और बेहतर सिंचाई सुविधा बड़े अनुदानित मूल्य पर मुहैया कराना शुरू किया। सरकार ने इस बात की भी गारंटी दी कि उपज को एक निर्धारित मूल्य पर खरीद लिया जाएगा। यही उस परिघटना की शुरुआत थी जिसे' हरित क्रांति ' कहा जाता है।
हरित क्रांति के दो सकरात्मक परिणाम:
(i) इस प्रक्रिया में धनी किसानों और बड़े भू-स्वामियों को सबसे ज़्यादा फायदा हुआ। हरित क्रांति से खेतिहर पैदावार में सामान्य किस्म का इजाफा हुआ (ज्यादातर गेहूँ की पैदावार बड़ी) और देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई।
(ii) इससे समाज के विभिन्न वर्गो और देशों के अलग- अलग इलाकों के बिच धुर्वीकरण तेज़ गति से हुआ।
हरित क्रांति के दो नकरात्मक परिणाम:
(i) इससे गरीब किसानों और भू-स्वामियों के बीच का अंतर और अधिक हो गया।
(ii) दूसरे, हरित क्रांति केकारण कृषि में मंझोलेदर्जे केकिसानोंयानी मध्यम श्रेणी के भू-स्वामित्व वालेकिसानोंका उभार हुआ।