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नियोजित विकास की राजनीति

Question
CBSEHHIPOH12041326

आज़ादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद क्या थे? क्या इन मतभेदों को सुलझा लिया गया?

Solution

राष्ट्रवादी नेताओं के मन में यह बात बिलकुल साफ थी कि आज़ाद भारत की सरकार के आर्थिक सरोकार अंग्रेजी हुकूमत के आर्थिक सरोकारों से एकदम अलग होंगे तथा वे उनको पूरा करने के लिए आर्थिक प्रणालियाँ अपनाएँगे। विकास के मॉडल को लेकर भारतीय नेताओं में मतभेद था कि विकास का कौन-सा मॉडल अपनाया जाए। आजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह मॉडल कारगर साबित हुआ। इस मॉडल एक मुख्य विशेषता यह होती हैं की आर्थिक क्रियाओं में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। अत:भारत के कई राजनेता व विचारक भारत को आधुनिक बनाने के लिए विकास के इसी मॉडल को अपनाने के पक्ष में थे।

इसके विपरीत दूसरा मॉडल था: समाजवादी मॉडल, यह मॉडल समाजवादी मार्क्सवादी विचारधारा पर आधारित था। इसमें आर्थिक क्रियाओं में राज्य या सरकार का हस्तक्षेप होता है। इसे सोवियत संघ ने अपनाया था। भारतीय नेतृत्व में इस बात को लेकर मतभेद था कि विकास के किस मॉडल को अपनाया जाए। कुछ लोग पश्चिमी देशों की तरह आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को अपनाने के पक्ष में थे तो कुछ लोग समाजवादी मॉडल को अपनाने के पक्ष में थे। इस प्रकार कुछ लोग औद्योगीकरण को उचित रास्ता मानते थे और इसके माध्यम से भारत को विकास की दशा की और मोड़ना चाहते थे। और कुछ लोगों की नजर में कृषि का विकास करना और ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी को दूर करना सर्वाधिक जरूरी था।

भारतीय नेतृत्व में दूसरा मतभेद निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र की प्राथमिकताओं को लेकर था। कुछ लोग निजी क्षेत्र को तथा कुछ लोग सार्वजनिक क्षेत्र को प्राथमिकता देने के पक्ष में थे। इन सभी विचारों को लेकर सरकार असमंजस में थी कि विकास के किस मॉडल को और किस क्षेत्र को पहले प्राथमिकता दी जाए। अंत में इन मतभेदों को बातचीत के द्वारा हल लिया गया। फलस्वरूप भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया गया है जिसमें निजी व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों आते हैं। औद्योगीकरण और कृषि दोनों को समान रूप से महत्त्व देने का निर्णय लिया गया।

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Some More Questions From नियोजित विकास की राजनीति Chapter

हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रांति के दो सकरात्मक तथा दो नकरात्मक परिणामों का उल्लेख करें।

दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान औद्योगिक विकास बनाम कृषि विकास का विवाद चला था। इस विवाद में क्या-क्या तर्क दिए गए थे।

''अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका पर ज़ोर देकर भारतीय नीति-निर्माताओं ने गलती की। अगर शुरुआत से ही निजी क्षेत्र को खुली छूट दी जाती तो भारत का विकास कहीं ज़्यादा बेहतर तरीके से होता।'' इस विचार के पक्ष या विपक्ष में अपने तर्क दीजिए।

निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:

आजादी के बाद के आरंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ पनपी। एक तरफ राष्ट्रीय पार्टी कार्यकारिणी ने राज्य के स्वामित्व का समाजवादी सिद्धांत अपनाया। उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक संसाधनों के संकेंद्रण को रोकने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण और नियमन किया। दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार ने निजी निवेश के लिए उदार आर्थिक नीतियाँ अपनाईं और उसके बढ़ावे के लिए विशेष कदम उठाए। इसे उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की अकेली कसौटी पर जायज़ ठहराया गया।

                                                                                            - फ्रैंकीन फ्रैंकल 

(क) यहाँ लेखक किस अंतर्विरोध की चर्चा कर रहा है? ऐसे अंतर्विरोध के राजनीतिक परिणाम क्या होंगे?
(ख) अगर लेखक की बात सही है तो फिर बताएँ कि कांग्रेस इस नीति पर क्यों चल रही थी? क्या इसका संबंध विपक्षी दलों की प्रकृति से था?
(ग) क्या कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोध था?