हर व्यक्ति को उसका प्राप्य देने का क्या मतलब है ? हर किसी को उसका प्राप्य देने का मतलब समय के साथ-साथ कैसे बदला ?
हर व्यक्ति को उसका प्राप्य देने का अर्थ है की जो व्यक्ति जिसका अधिकारी है, उसे वह देना ही न्याय है। इसमें जनता की भलाई की सुनिश्चितता में हर व्यक्ति को उसका वाजिब हिस्सा देना शामिल है।
हर व्यक्ति को उसका प्राप्य देने का मतलब समय के साथ-साथ निरंतर बदलता रहा है: उदाहरण के लिए प्राचीन काल में प्रत्येक व्यक्ति को उसका प्राप्य देने का अर्थ था, कि यदि किसी व्यक्ति ने कोई गलत कार्य किया है, तो उससे दंड दिया जाए अथवा उसने अच्छा कार्य किया है, तो उससे पुरस्कार दिया जाए।
परन्तु आधुनिक समय में जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट के अनुसार, हर मनुष्य की गरिमा होती है। अगर सभी व्यक्तियों की गरिमा स्वीकृत है, तो उनमें से हर एक का प्राप्य यह होगा कि उन्हें अपनी प्रतिभा के विकास और लक्ष्य की पूर्ति के लिए अवसर प्राप्त हो। न्याय के लिए जरूरी हैकि हम तमाम व्यक्तियों को समुचित और बराबर की अहमियत दें।