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सामाजिक न्याय

Question
CBSEHHIPOH11021802

अध्याय में दिए गए न्याय के तीन सिद्धांतों की संक्षेप में चर्चा करो। प्रत्येक को उदाहरण के साथ समझाइये।

Solution

आधुनिक लोकतान्त्रिक राज्यों में न्याय एक बहुत महत्वपूर्ण धरना है। अध्याय में दिए गए न्याय के तीन सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

  1. समान लोगों के प्रति समान बरताव: समाज के लिए समान व्यवहार अति महत्वपूर्ण और न्याय का आवश्यक सिद्धांत माना जाता है। माना जाता है कि मनुष्य होने के नाते सभी व्यक्तियों में कुछ समान चारित्रिक विशेषताएँ होती हैं। इसीलिए वे समान अधिकार और समान बरताव के अधिकारी हैं। आज अधिकांश उदारवादी जनतंत्रों में कुछ महत्त्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इनमें जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति केअधिकार जैसे नागरिक अधिकार शामिल हैं। इसमें समाज के अन्य सदस्यों के साथ समान अवसरों के उपभोग करने का सामाजिक अधिकार और मताधिकार जैसे राजनीतिक अधिकार भी शामिल हैं। ये अधिकार व्यक्तियों को राज प्रक्रियाओं में भागीदार बनाते हैं। 
  2. समानुपातिक न्याय: समानुपातिक न्याय, न्याय का एक अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत है। कभी-कभी कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हो सकती हैं जिसमें सभी के साथ समान बरताव अपने आप में अन्याय साबित होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी स्कूल में यह फैसला किया जाए, कि परीक्षा में शामिल होने वाले तमाम लोगों को बराबर के अंक दिए जाएँगे,क्योंकि सब एक ही स्कूल के विद्यार्थी हैं और सब ने एक ही परीक्षा दी है तो यह अन्याय ही होगा। लोगों को उनके प्रयास के पैमाने और अर्हता के अनुपात में ही पुरस्कृत किया जाना चाहिए।
  3. विशेष जरूरतों का विशेष ख्याल: न्याय के जिस तीसरे सिद्धांत को हम समाज के लिए मान्य करते हैं, वह पारिश्रमिक या कर्त्तव्यों का वितरण करते समय लोगों की विशेष जरूरतों का ख्याल रखने का सिद्धांत है। विशेष जरूरतों या विकलांगता वाले लोगों को कुछ खास मामलों में असमान और विशेष सहायता के योग्य समझा जा सकता है। हमारे देश में आमतौर पर देखा जाता है कि,अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और ऐसी अन्य सुविधाओं तक पहुँच का अभाव जाति आधारित सामाजिक भेदभाव से जुड़ा है। इसीलिए संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में तथा शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

Some More Questions From सामाजिक न्याय Chapter

क्या विशेष जरूरतों का सिद्धांत सभी के साथ समान बरताव के सिद्धांत के विरूद्ध है ?

सभी नागरिकों को जीवन की न्यूनतम बुनियादी स्थितियाँ उपलब्ध कराने के लिए राज्य की कार्यवाई को निम्न में से कौन से तर्क से वाजिब ठहराया जा सकता है ?

(क) गरीब और ज़रूरतमंदों को निशुल्क सेवाएँ देना एक धर्म कार्य के रूप में न्यायोचित है।
(ख) सभी नागरिकों को जीवन का न्यूनतम बुनियादी स्तर उपलब्ध करवाना अवसरों की समानता सुनिश्चित करने का एक तरीका है।
(ग) कुछ लोग प्राकृतिक रूप से आलसी होते हैं और हमें उनके प्रति दयालु होना चाहिए।
(छ) सभी के लिए बुनियादी सुविधाएँ और न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करना साझी मानवता और मानव अधिकारों की स्वीकृति है।

आम तौर पर एक स्वस्थ और उत्पादक जीवन जीने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम बुनियादी जरूरतें क्या मानी गई है ? इस न्यूनतम को सुनिश्चित करने में सरकार की क्या जिम्मेदारी है ?

निष्पक्ष और न्यायपूर्ण वितरण को युक्तिसंगत आधार पर सही ठहराया जा सकता है। रॉल्स ने इस तर्क को आगे बढ़ाने में 'अज्ञानता के आवरण ' के विचार का उपयोग किस प्रकार किया।