क्या विशेष जरूरतों का सिद्धांत सभी के साथ समान बरताव के सिद्धांत के विरूद्ध है ?
नहीं, विशेष जरूरतों का सिद्धांत सभी के साथ समान बरताव के सिद्धांत के विरूद्ध नहीं है। लोगों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखने का सिद्धांत समान बरताव के सिद्धांत को अनिवार्यतया खंडित नहीं, बल्कि उसका विस्तार ही करता है क्योंकि समकक्षों के साथ समान बरताव के सिद्धांत में यह अंतर्निहित है, कि जो लोग कुछ महत्त्वपूर्ण संदर्भों में समान नहीं हैं, उनके साथ भिन्न ढंग से बरताव किया जाए।
उदहारण स्वरूप:
- विशेष जरूरतों या विकलांगता वाले लोगों को कुछ खास मामलों में असमान और विशेष सहायता के योग्य समझा जा सकता है। लेकिन इस पर सहमत होना हमेशा आसान नहीं होता, कि लोगों को विशेष सहायता देने के लिए उनकी किन असमानताओं को मान्यता दी जाय।
- शारीरिक विकलांगता, उम्र या अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच न होना कुछ ऐसे कारक हैं, जिन्हें अनेक देशों में विशेष बरताव का आधार समझा जाता है।
- हमारे देश में आमतौर पर देखा जाता है कि अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और ऐसी अन्य सुविधाओं तक पहुँच का अभाव जाति आधारित सामाजिक भेदभाव से जुड़ा है। इसीलिए संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में तथा शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है।