अब यही स्थिति लें और किसी ऐसे विद्यार्थी को उपरोक्त सारे काम करने के लिए कहें जो फिएस्ता क्लब का समर्थक है। यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो क्या आपको लगता है कि पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा? क्यों नहीं
यदि अपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाएगा क्योंकि-
(i) एक व्यक्ति के हाथों में सारी शक्तियाँ होने पर भेदभाव की संभावना बढ़ जाती है।
(ii) जिस व्यक्ति ने जुर्म किया है यदि वह बहुमत दल का है उसकी राजनीति में अच्छी पहुँच है तो वह एक व्यक्ति पर आसानी से दबाव डालकर मुकदमा जीत सकता है। ऐसे में शक्ति के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
(iii) एक ही व्यक्ति द्वारा सभी के यानी पुलिस, सरकारी वकील, बचाव पक्ष का वकील, न्यायाधीश के कार्यों को भली-भाँति करना संभव नहीं है।
(iv) यदि एक ही व्यक्ति आपराधिक न्यायिक व्यवस्था के सारे कार्य करने लगे तो वह निष्पक्ष व्यवस्था नहीं रह पाएगी बल्कि भेदभावपूर्ण व्यवस्था में बदल जाएगी।