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बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक

Question
CBSEHHISSH8008195

विभिन्न कपड़ों के नामों से उनके इतिहासों के बारे में क्या पता चलता है? 

Solution

(1) यूरोप के व्यापारियों ने भारत से आया बारीक सूती कपड़ा सबसे पहले मौजूदा इराक के मोसूल शहर में अरब के व्यापारियों के पास देखा था। इसी आधार पर वे बारीक बुनाई वाले सभी कपड़ों को 'मुस्लिन' (मलमल) कहने लगे।
(2) मसालों की तालाश में जब पहली बार पुर्तगाली भारत आए तो उन्होंने दक्षिण-पश्चिमी भारत में केरल के तट पर कालीकट में डेरा डाला।
(3) छापेदार सूती कपड़े जिसे शिंट्ज़, कोसा (या खस्सा) और बंडाना कहते थे। इस तरह के कपड़ों की यूरोप में भारी माँग थी। शिंट्ज़ शब्द हिंदी के शब्द 'छींट' शब्द से निकला है। बंडाना शब्द का इस्तेमाल गले या सिर पर पहनने वाले चटक रंग के छापेदार गुलूबंद के लिए किया जाता है। यह शब्द हिंदी के 'बाँधना' शब्द से निकला है। इस श्रेणी में चटक रंगों वाले ऐसी बहुत सारी किस्म के कपड़े आते थे जिन्हें बाँधने और रंगसाज़ी की विधियों से ही बनाया जाता था।

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