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बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक

Question
CBSEHHISSH8008198

उन्नीसवीं सदी में भारतीय लौह प्रगलन उद्योग का पतन क्यों हुआ?

Solution

उन्नीसवीं सदी में भारतीय लौह प्रगलन उद्योग का पतन निम्नलिखित कारणों से हुआ:

(i) औपनिवेशिक सरकार ने आरक्षित वनों में लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी परिणामस्वरूप लोहा बनाने वालों को कोयले के लिए लकड़ी मिलना मुश्किल हो गया था तथा लौह अयस्क प्राप्त करना भी कठिन था। लिहाज़ा, बहुत सारे कारीगरों से यह पेशा छोड़ दिया और वे आजीविका के दूसरे साधन ढूँढ़ने लगे। 

(ii) कुछ क्षेत्रों में सरकार ने जंगलों में आवाजाही की अनुमति दे दी थी। लेकिन प्रगालकों को अपनी प्रत्येक भट्ठी के लिए वन विभाग को बहुत भारी कर चुकाने पड़ते थे जिससे उनकी आय गिर जाती थी।

(iii) उन्नीसवीं सदी के आखिर तक ब्रिटेन से लोहे और इस्पात का आयत भी होने लगा था। भारतीय लुहार भी घरेलु बर्तन व औज़ार आदि बनाने के लिए आयातित लोहे का इस्तेमाल करने लगे थे। इसकी वजह से स्थानीय प्रगालकों द्वारा बनाए जा रहे लोहे की माँग कम होने लगी।

Solution By Expert
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उन्नीसवीं सदी में लोहार भी लोहे का प्रोयोग कर बर्तन आदि बनाने लगे थे