Question
निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें:
- औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
- लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
- गरीब देशों की सरकार को अपने ज़्यादा संसाधन गरीबों को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
- नागरिकों के बीच आर्थिक समानता आमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
- लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
Solution
- नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। गरीब देशों में भी लोकतंत्र स्थापित किया जा सकता है। तानाशाही के अधीन गरीब देश अधिक आर्थिक विकास कर सकते है, परन्तु इससे वहाँ मूल्यों का आभाव हो सकता है। तानाशाही देश भी गरीब हो सकते है। गरीब व्यक्ति भी वही समानता और आज़ादी चाहता है, जो लोकतंत्र में मौजूद होती है। गरीबों को यदि स्वतंत्रता व समानता का अधिकार न मिले तो वे विद्रोही हो जाते है और देश विकास की अपेक्षा पतन की ओर बढ़ने लगता है, देश ओर गरीब हो जाता है।
- यह कथन सही है कि लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता को कम नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा अब तक संभव नहीं हो सका है। वैसे तो समानता लोकतंत्र का आधार है, परन्तु समय के साथ अमीर और गरीब के बीच की खाई ओर गहरी हुई है।
- नहीं, मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ। सर्वप्रथम लोकतंत्र में व्यक्ति को आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा का अधिकार है। यह जीवन के अभिन्न अंग है। इनके बिना जीवन असंभव है। गरीब देशों की सरकार को अपने उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढांचों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। परन्तु इसके लिए मानव विकास को नहीं भुलाया जा सकता। यदि व्यक्ति शिक्षित होंगे तभी देश का उद्योग और बुनियादी आर्थिक ढाँचे में विकास अच्छा हो सकेगा।
- यह कथन सत्य है कि नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है। लोकतंत्र सामाजिक समानता पर निर्भर करता है। सच्चाई यह है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था भी अमीर गरीब के बीच की खाई को नहीं काट पाई है। इस दिशा में निरंतर प्रयास होते रहे है। सम्पूर्ण आर्थिक समानता किसी भी लोकतंत्र के लिए अव्यवहारिक मुद्दा है।
- हम इस कथन से पूर्णतः सत्य है कि लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता। लोकतंत्र में कोई भेदभाव नहीं किया जाता। वोट देने का अधिकार सभी नागरिकों के लिए सामान है। इस तरह टकराव का सवाल नहीं उठता तथा इससे सामान्य व्यक्ति भी प्रभावशाली व्यक्ति के अन्याय से बचा रहता है। यदि किसी प्रकार का कोई मतभेद होता भी है तो उसे लोकतंत्र व्यवस्था के माधयम से हल कर लिया जाता है।