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लोकतंत्र के परिणाम

Question
CBSEHHISSH10018645

नीचे दिए गए एक अनुछेद को पढ़े;
नन्नू एक दिहाड़ी मज़दूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मज़दूर कॉलोनी में रहता है।
उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ़्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसकी अर्ज़ी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्ज़ी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देनें का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने एक अर्ज़ी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम कोई काम न करने की सूरत में उसके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ़्ते भर के अंदर खाद्य विभाग का एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ़्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब है नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन वापस ले लें।
    नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारी के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है।

Solution

(i) नन्नू का ये उदाहरण हमें बताता है कि हमें अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहना चाहिए और उनका प्रयोग जरूरत पड़ने पर हमें अवश्य करना चाहिए।
(ii) नन्नू के सूचना के अधिकार के अंतर्गत उसके द्वारा दिए गए आवेदन पत्र के कारण उसे अधिकारीयों और कर्मचारियों द्वारा समान तो मिला ही, साथ ही उसका काम भी जल्दी ही हो गया। उन्होंने नन्नू का राशन कार्ड तो बनवाया साथ ही उसे यह निवेदन भी किया कि वह आवेदन वापस ले लें।
    अपने माँ-पिताजी से पूछने पर मुझे पता चला कि उनका अनुभव इस सदर्भ में अच्छा नहीं है। अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारी के पास जाने पर उन्हें कई तरह कि दिकक्तों का सामना करना पड़ा। उनके काम में सरकारी कर्मचारी और अधिकारीयों ने बहुत सुस्ती बरती। इस कारण उन्हें अपने कार्य करवाने के लिए कई दफ़्तरों के चक्कर लगाने पड़े और कई परेशानियों को झेलना पड़ा।

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लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते  हैं।

नीचे दिए गए एक अनुछेद को पढ़े;
नन्नू एक दिहाड़ी मज़दूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मज़दूर कॉलोनी में रहता है।
उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ़्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसकी अर्ज़ी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्ज़ी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देनें का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने एक अर्ज़ी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम कोई काम न करने की सूरत में उसके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ़्ते भर के अंदर खाद्य विभाग का एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ़्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब है नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन वापस ले लें।
    नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारी के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है।

भारत के दिए गए राजनीतिक रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित को उपयुक्त चिन्हों से दर्शाइए और उनके नाम लिखिए :
A. अंकलेश्वर - तेल-क्षेत्र
B. दुर्गापुर - लोहा व इस्पात संयंत्र
C. तूतीकोरिन - प्रमुख समुद्री पतन