हम जानते हैं कि बहुत से मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?
मानवीय गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता नहीं मिलेगी। वायु, जल, और मृदा प्राकृतिक सम्पदाएँ हैं और अंतर्संबंधित भी। एक के प्रदूषित हो जाने से दूसरे पर प्रभाव अवश्य पड़ेगा। और तो और, प्रदूषण कभी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता, उदहारण के लिए कार्बन डाइऑक्सइड, जो अधिक मात्रा में उस क्षेत्र की हवा को अत्यधिक गर्म कर देगा और जैसा कि हम जानते हैं कि गर्म हवा ऊपर उठती है तो इस प्रकार वह आस-पास के क्षेत्रों में फ़ैल जाएगी। ऐसे ही यदि एक क्षेत्र की हवा में नाइट्रोजन और सल्फर की मात्रा बढ़ जाएगी तो वह वायुमंडल को प्रभावित करेगी और आस पास के क्षेत्र भी प्रभावित हो जाएँगे।
यदि एक क्षेत्र की मृदा प्रदूषित हो जाएगी तो वहाँ के शाकाहारी पशु भूखे मर जाएँगे और इसी प्रकार माँसाहारी पशु भी विलुप्त हो जाएँगे क्योंकि पेड़-पौधें जो शाकाहारियों का आहार होते हैं और आश्रय के लिए भी उपयोगी होते हैं, वे सभी नष्ट हो जाएँगे।
यदि एक क्षेत्र का जल निकाय प्रदूषित हो जाए तो वहाँ के जलीय पौधे और पशु मारे जाएँगे जिससे आहार श्रृंखला विक्षुब्ध हो जाएगी।