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गर्भस्थ शिशु में लिंग निर्धारण
गर्भस्थ शिशु में लिंग निर्धारण- निषेचित अंडाणु अथवा युग्मनज में, जन्म लेने वाले शिशु के लिंग मिर्धारण का संदेश होता है। इन युग्मक में गुणसूत्रीं का एक जोड़ा होता है। अंडाणु में सदा X गुणसूत्र होता है परंतु शुक्राणु में दोनों प्रकार के गुणसूत्र X और Y होते हैं। जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो मादा शिशु विकसित होता है और जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो नर शिशु विकसित होता है। इस से यह कहा जा सकता है की XX मिलके लड़की का विकास होता है और XY मिलके लड़के का विकास होता है।
इस प्रकार हम यह कह सकते है कि गर्भस्थ में शिशु में लिंग निर्धारण के लिए पिता के लिंग गुणसूत्र हैं।