नमक कानून स्वतंत्रता संघर्ष का महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों बन गया था?
नमक एक बहुमूल्य राष्ट्रीय संपदा थी जिस पर औपनिवेशिक सरकार ने अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया था। यह कानून द्वारा स्थापित एकाधिकार भारतीय जनता के लिए एक अभिशाप के समान था। इसलिए गाँधी जी ने औपनिवेशिक शासन के विरोध के लिए नमक का प्रतीक रूप में चुनाव किया और शीघ्र ही नमक कानून स्वतंत्रता संघर्ष का एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बन गया।
नमक कानून के चुनाव के निम्नलिखित कारण थे:
- यह कानून ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानूनों में से एक था। इसके अनुसार नमक के उत्पादन और विक्रय पर राज्य का एकाधिकार था।
- भारतीय विशेषत: जन-साधारण नमक कानून को घृणा की दृष्टि से देखता था। प्रत्येक घर में नमक भोजन का एक अपरिहार्य अंग था। किन्तु भारतीयों द्वारा घरेलू प्रयोग के लिए भी स्वयं नमक बनाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी कारण सभी को ऊँचे मूल्यों पर दुकानों से नमक खरीदना पड़ता था।
- नमक पर राज्य का एकाधिकार अत्यधिक अलोकप्रिय था। जनसामान्य में इस कानून के प्रति असंतोष व्याप्त था।
- नमक उत्पादन पर सरकार के एकाधिकार ने लोगों को एक महत्त्वपूर्ण किन्तु सरलतापूर्वक उपलब्ध ग्राम-उद्योग से वंचित कर दिया था।



