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महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन

Question
CBSEHHIHSH12028359

निजी पत्रों और आत्मकथाओं से किसी व्यक्ति के बारे में क्या पता चलता है? ये स्रोत सरकारी ब्योरों से किस तरह भिन्न होते हैं?

Solution

निजी पत्र: निजी पत्र में किसी व्यक्ति के निजी विचारों की झलक मिलती है। इसमें प्राइवेट बातें मिलती है जिन्हें सार्वजनिक तौर पर अभिव्यक्त नहीं किया गया होता। इन पत्रों में हम लिखने वाले को अपना गुस्सा और पीड़ा, असंतोष और बेचैनी अपनी आशाएँ और हताशाएँ व्यक्त करते हुए देख सकते हैं। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि बहुत सारे पत्र व्यक्तियों को लिखे जाते हैं इसलिए वे व्यक्तिगत पत्र होते हैं लेकिन कुछ हद तक वे जनता के लिए भी होते हैं। उन पत्रों की भाषा इस अहसास से भी तय होती है कि संभव है एक दिन उन्हें प्रकाशित कर दिया जाएगा।

आत्मकथा: आत्मकथाएँ हमें उस अतीत का ब्योरा देती हैं जो मानवीय विवरणों के हिसाब से काफी समृद्ध होता है। वस्तुतः यह व्यक्ति के संपूर्ण जीवनकाल, जन्मस्थान, परिवार की पृष्ठभूमि, शिक्षा, वैचारिक प्रभाव, जीवन में उतार-चढ़ाव, प्रमुख घटनाओं आदि से जुड़ी होती हैं। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि ये आत्मकथाएँ प्राय: स्मृति के आधार पर लिखी गई होती हैं। उनसे हमें पता चलता है कि लिखने वाले को क्या याद रहा, उसे कौन सी चीजें महत्त्वपूर्ण दिखाई दीं या वह क्या याद रखना चाहता था, या वह औरों की नजर में अपनी जिंदगी को किस तरह दर्शाना चाहता है। आत्मकथा लिखना अपनी तसवीर गढ़ने का एक तरीक़ा है।

सरकारी ब्यौरे से भिन्नता: निजी पत्र और आत्मकथाएँ इतिहास के स्तोत्र के रूप में सरकारी ब्यूरो से पूरी तरह से भिन्न है। सरकार राष्ट्रीय आंदोलन और उसके नेताओं पर कड़ी नजर रखती थी। पुलिस और सी.आई.डी के द्वारा इन पर पाक्षिक रिपोर्ट तैयार की जाती थी। यह पूरा ब्योरा गुप्त रखा जाता था। इन रिपोर्टों को तैयार करने वाले सरकार, और स्वयं अपने पूर्वग्रहों, नीतियों दृष्टिकोण आदि से प्रभावित होते थे। इसके विपरीत निजी पत्रों में दो व्यक्तियों के मध्य आपसी विचारों का आदान-प्रदान और निजी स्तर पर जुड़ी बातों का विवरण होता था। अत: हम कह सकते हैं कि इन दोनों प्रकारों के स्रोतों के विवरण कि विशेषता तथा प्रकृति भिन्न होती हैं।  

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