बे शरिया और बा शरिया सूफी परंपरा के बीच एकरूपता और अंतर दोनों को स्पष्ट कीजिए।
शरिया मुसलमानों को निर्देशित करने वाला कानून हैं। यह कुरान शरीफ और हदीस पर आधारित हैं। शरिया का पालन करने वाले को बा-शरिया और शरिया की अवेहलना करने वालों को बे-शरिया कहा जाता था।
एकरूपता:
- बे शरिया और बा शरिया दोनों ही इस्लाम धर्म से संबंध रखते थे।
- दोनों ही एक ईश्वर में विश्वास रखते थे। उनके अनुसार अल्लाह एक मात्र ईश्वर हैं जो सर्वोच्च, शक्तिशाली अथवा सर्वव्यापक हैं।
- दोनों ही अल्लाह के समुख पूर्ण आत्मसमर्पण पर बल देते थे।
- इनकी एक-रूपता इस बात में भी थी ये दोनों सूफी आंदोलनों से थे।
अंतर:
- बा-शरीआ सूफी सन्त ख़ानक़ाहो में रहते थे। खानकाह एक फ़ारसी शब्द है, जिसका अर्थ है-आश्रम। जबकि बे-शरीआ सूफी संत ख़ानक़ाह का तिरस्कार करके रहस्यवादी एवं फ़कीर की जिन्दगी व्यतीत करते थे।
- बा-शरीआ सिलसिले शरीआ का पालन करते थे, किन्तु बे-शरीआ शरीआ में बँधे हुए नहीं थे।



