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भक्ति - सूफी परंपराएँ

Question
CBSEHHIHSH12028298

सूफी मत के मुख्य धार्मिक विश्वासों और आचारों की व्याख्या कीजिए।

Solution

इस्लाम की आरंभिक शताब्दियों में कुछ आध्यात्मिक लोगो का झुकाव रहस्यवाद तथा वैराग्य की ओर बढ़ने लगा। इन लोगों को सूफ़ी कहा जाने लगा। सूफी मत के मुख्य धार्मिक विश्वासों और आचारों का वर्णन इस प्रकार हैं:

  1.  सूफ़ियों ने रूढ़िवादी परिभाषाओं तथा धर्माचार्यों द्वारा की गई कुरान और सुन्ना (पैगम्बर के व्यवहार) की बौद्धिक व्याख्या की आलोचना की। उन्होंने कुरान की व्याख्या अपने निजी अनुभवों के आधार पर की।
  2. उन्होंने मुक्ति प्राप्ति के लिए ईश्वर की भक्ति और उनके आदेशों के पालन पर बल दिया।  
  3. उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद को इंसान-ए-कामिल बताते हुए उनका अनुसरण करने की सीख दी।
  4. परमात्मा के सम्बन्ध में सूफ़ी साधकों का विचार था कि परमात्मा एक हैं। उनका मानना था कि वह अद्वितीय पदार्थ हैं जो निरपेक्ष हैं, अगोचर हैं, अपरिमित हैं और नानात्व से परे हैं, वही परम सत्य हैं।
  5. मनुष्य के सम्बन्ध में सूफ़ी साधकों का विचार था कि मनुष्य परमात्मा के सभी गुणों को अभिव्यक्त करता हैं।
  6. वे किसी औलिया या पीर कि देख-रेखा में ज़िक्र (नाम का जाप) चिंतन, समा (गाना), रक्स (नृत्य), नीति-चर्चा, साँस पर नियंत्रण आदि क्रियाओं द्वारा मन को परिशिक्षित करने के पक्ष में थे।
  7. सूफियों के अनुसार ईश्वर सर्वशक्तिमान हैं। उसका निवास सृष्टि के कण-कण में हैं। सभी जीव उसी से उत्त्पन्न होते हैं, इसलिए सभी जीव एक समान हैं।
  8.  सूफ़ी मत के अनुसार मानव सेवा तथा ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करना प्रभु-भक्ति करने के समान हैं। इसी उद्देश्य से शेख निज़ामुद्दीन औलिया के ख़ानक़ाह में एक सामुदायिक रसोई (लंगर) चलाई जाती थी जो फुतूह (बिना मांगी खैर) पर चलती थी। सुबह से देर रात तक चलने वाली इस रसोई में सभी वर्गों के लोग भोजन करते थे। 
  9. सूफ़ी मत के अनुसार मनुष्य को संसारिक पदार्थों के साथ मोह नहीं करना चाहिए।
  10. सूफ़ी मत में मुर्शिद (गुरु) को बहुत ऊँचा स्थान दिया गया है। मुर्शिद ही मनुष्य को सच्चा मार्ग दिखाता है।

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