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ईंटें मनके तथा अस्थियाँ

Question
CBSEHHIHSH12028255

हड़प्पा सभ्यता के समय में राजनीतिक सत्ता का क्या स्वरूप था तथा विज्ञान क्या-क्या कार्य करते थ े।

Solution

हड़प्पा सभ्यता के समय में राजनीतिक सत्ता का क्या स्वरूप था तथा विज्ञान क्या-क्या कार्य करते थे। इस संबंध में पुरातत्वविदों तथा इतिहासकारों में एकमत नहीं है। विशेषतौर पर हड़प्पा लिपि के नहीं पढ़े जाने के कारण यह पक्ष अभी तक अस्पष्ट है। फिर भी उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि वहाँ पर शासक वर्ग अवश्य था। हड़प्पा सभ्यता के सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए यह कहा जाता है कि हड़प्पाई समाज में शासक थे तथा उनके द्वारा किए जाने वाले संभावित कार्यों का विवरण निम्नलिखित प्रकार दिया जा सकता है:

  1. शासकों के द्वारा जटिल फैसले लिए जाते होंगे तथा उन्हें लागू करवाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी किए जाते होंगे। हड़प्पा स्थलों पर प्राप्त पूरावशेषों में असाधारण एकरूपता इस बात का प्रतीक है कि इस बारे में नियम रहे होंगे। मृदभाण्ड, मोहरें, बाट तथा ईंटों में यह असाधारण एकरूपता शासकों के आदेशों पर ही रही होगी।
  2. बस्तियों की स्थापना व नियोजन का निर्णय लेना, बड़ी संख्या में ईंटों को बनवाना, शहरों में विशाल दुर्ग/दीवारें, सावर्जनिक भवन, दुर्ग क्षेत्र के लिए चबूतरे का निर्माण कार्य, लाखों की संख्या में विभिन्न कार्यों के लिए मजदूरों की व्यवस्था करना; जैसे कार्य शासकों के द्वारा ही करवाए जाते रहे होंगे। नगरों की सारी व्यवस्था की देखभाल शासक वर्ग द्वारा की जाती थी।
  3. कुछ पुरातत्वविदों का कहना है कि मेसोपोटामिया के समान हड़प्पा में भी पुरोहित शासक रहे होंगे।पाषाण की एक मूर्ति की पहचान 'पुरोहित राजा' के रूप में की जाती है जो एक प्रसाद महल में रहता था। लोग उसे पत्थर की मूर्तियों में आकार देकर सम्मान करते थे। यह संभावना भी व्यक्त की जाती है कि यह पुरोहित राजा धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते थे। यह भी कहा जाता है कि विशाल स्नानागार एक आनुष्ठानिक क्रिया के आयोजन के लिए बनवाया गया होगा। यद्यपि हड़प्पा सभ्यता की आनुष्ठानिक प्रथाओं को अभी तक ठीक प्रकार से नहीं समझा जा सका है।
  4. कुछ विद्वानों का मत है कि हड़प्पाई समाज में एक राजा ही नहीं था बल्कि कई शासक थे जैसे मोहनजोदड़ो हड़प्पा आदि के अपने अलग-अलग शासक होते थे। अपने-अपने क्षेत्र में व्यवस्था को देखते थे।
  5. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि हड़प्पा राज्य कांस्य युग का था तथा यह लोह युग के राज्य से भिन्न था। न इसकी स्थाई सेना थी और न स्थाई नौकरशाही। भू-राजस्व भी वसूल नहीं किया जाता था। शासक वर्ग में विभिन्न समुदायों के प्रमुख लोग शामिल थे जो आपस में मिलकर इसे चलाते थे। इन लोगों का तकनीकी, शिल्पों तथा व्यापार पर अधिकार था। ये शिल्पकारों से उत्पादन करवाते थे। दूर- दूर तक व्यापार करते थे। किसानों से अनाज शहरों तक आता था तथा इसे अन्नागारों में रखा जाता था।
  6. हड़प्पा सभ्यता के काल में उभरे क्षेत्रीय, अंतर क्षेत्रीय तथा बहारी व्यापार को सुचारु रुप से चलाने का कार्य भी शासक के हाथों में ही होगा। शासक बहुमूल्य धातुओं व मणिको के व्यापार पर नियंत्रण रखते होंगे। इस व्यापार से उन्हें धन प्राप्त होता था। बड़े पैमाने पर शिल्प उत्पादों, माप-तोल प्रणाली, कलाओं का संचालन भी शाशक करते होंगे।
  7. स्पष्ट है कि नगर नियोजन, भवन निर्माण, दुर्ग निर्माण, निकास प्रणाली, गलियों का निर्माण, मानव संसाधन को कार्य पर लगाना, शिल्प उत्पाद, खाद्यान्न प्राप्ति, व्यापारिक कार्य, धार्मिक अनुष्ठान जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन हड़प्पा शासकों द्वारा किया जाता होगा।