किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखो।
किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की सीमाएँ निम्नलिखित हैं:
- GDP की संरचना: यदि जीडीपी में वृद्धि युद्ध सामग्री(जैसे :टैंक, बम, अस्त-शस्त्र आदि) के उत्पादन में वृद्धि के कारण है या पूँजीगत वस्तुओं; जैसे मशीनरी, उपस्कर आदि के उत्पादन में वृद्धि के फलस्वरुप है तो इससे आर्थिक कल्याण में वृद्धि नहीं होगी।
- जनसंख्या वृद्धि की दर: राष्ट्रीय आय के अंक देश की जनसंख्या, कुशलता तथा संसाधनों का कोई संकेत नहीं देते। एक देश की राष्ट्रिय आय अधिक हो सकती हैं, परन्तु यदि यह लगातार बढ़ती जनसंख्या द्वारा उपभोग कर ली जाए, तो लोगो का कल्याण स्तर नीचा होगा।
- कीमतों में वृद्धि: यदि जीडीपी (GDP) में वृद्धि केवल कीमतों में वृद्धि के फलस्वरुप हुई है तो यह आर्थिक कल्याण का सूचक (या मापक) नहीं हो सकता।
- बाह्य कारण: बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी फर्म या व्यक्ति के लाभ (हानि) से है, जिससे दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है (दंडित)। उदहारण के लिए: कारखानों द्वारा छोड़े गए धुएँ से पर्यावरण का दूषित होना, तेलशोधक कारखानों के गंदे तरल पदार्थों का तटवर्ती नदी में बहना और जल प्रदूषित करना। इन हानिकारक प्रभावों का में GDP मूल्यांकन नहीं किया जाता।
- GDP (राष्ट्रीय आय) का वितरण: मात्र जीडीपी में वृद्धि आर्थिक कल्याण में वृद्धि प्रकट नहीं कर सकती क्योंकि इसके वितरण से अमीर अधिक अमीर और गरीब अधिक गरीब हो गए हैं। जीडीपी में वृद्धि आर्थिक कल्याण का सूचक तभी बन पाएगी जब गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या में निरंतर कमी आएगी।
- जीडीपी में कई वस्तुओं एवं सेवाओं का शामिल ना होना: जीडीपी में आर्थिक कल्याण बढ़ाने वाली विशेष रूप से गैर-बाज़ारी सौदों को शामिल नहीं किया जाता, जैसे ग्रहणी की सेवाएँ, घरेलू बगीचे में सब्जियां उगाना, अध्यापक द्वारा अपने बेटे को पढ़ाना इत्यादि।