दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान शहरों का जीवन कैसा था?
ऐन फ्रैंक ने शहरों के माहौल के बारे में बताया है। वह बताती है कि युद्ध का फायदा डचों ने उठाया है। जो लोग साइकिलें या कारें खड़ी करके बाजार में खरीददारी करते थे, उनकी गाड़ियाँ चुरा ली जाती थीं। चोरी की घटनाओं में बढ़ोतरी के कारण लोगों ने अँगूठी पहनना तक छोड़ दिया। छोटी आयु के बच्चे भी खिड़की तोड़कर घर में रखे सामान को उठा ले जाते थे। थोड़े समय के लिए घर नहीं छोड़ सकते थे क्योंकि इतनी देर में उनका सारा घर लूट लिया जाता था। चोरी के सामान के बारे में विज्ञापन छपते थे कि जो यह सामान लौटाएगा उसे इनाम मिलेगा। गलियों और नुक्कड़ों पर लगी बिजली से चलने वाली घड़ियाँ तक लोग उतार ले जाते थे।