‘शिरीष के फूल ‘ पाठ में लेखक शिरीष के फूल की किस विशेषता को रेखांकित करता है? वह मानव को क्या संदेश देता है?
शिरीष का फूल आँधी लू और गरमी की प्रचंडता में भी अवधूत की तरह अविचल होकर कोमल पुष्पों का सौंदर्य बिखेर रहे शिरीष के माध्यम से मनुष्य की अजेय जिजीविषा और तुमुल कोलाहल-कलह के बीच धैर्यपूर्वक लोक के साथ चिंतारत, कर्त्तव्यशील बने रहने को महान मानवीय मूल्य के रूप में स्थापित करता है। निबंध की शुरूआत में लेखक शिरीष पुष्प की कोमल सुंदरता का जाल बुनता है फिर उसे भेदकर उसके इतिहास में और फिर उसके जरिए मध्यकाल के सांस्कृतिक इतिहास में पैठता है, फिर तत्कालीन जीवन व सामंती वैभव विलास को सावधानी से उकरते हुए उसका खोखलापन भी उजागर करता है। कवि इस पाठ में निरंतर आगे बढ़ते जाने की प्रेरणा देता है।