द्विवेदी जी की वनस्पतियों में ऐसी रुचि का क्या कारण हो सकता है? आज साहित्यिक रचना-फलक पर प्रकृति की उपस्थिति न्यून-सें-न्यून होती जा रही है। तब ऐसी रचनाओं का महत्त्व बढ़ गया है। प्रकृति के प्रति आपका दृष्टिकोण रुचिपूर्ण है या उपेक्षामय इसका मूल्यांकन करें।
द्विवेदीजी शांतिनिकेतन के घने कुंजों के बीच में रहते थे। वहाँ लेखक अपनी दिनचर्या के दौरान, कुसुम, पलास, कचनार, अमलतास आदि के फूलों को फूलते-झड़ते देखा करता था। अत: उनमें द्विवेदी जी की रुचि का होना स्वाभाविक ही है। आज के साहित्यकार के पास समय और दृष्टि का अभाव है।