आशय स्पष्ट कीजिए-
फूल हो या पेड़, वह अपने-आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।
फूल हों या पेड़ हों, वे अपने आप में संपूर्ण नहीं हैं। वह किसी अन्य वस्तु की ओर इशारा करने वाला संकेत है। वह इशारा करता है। हमें फूल या पेड़ को ही सब कुछ नहीं मान लेना चाहिए।