निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
वास्यायन ने ‘कामसूत्र’ में बताया है कि वाटिका के सघन छायादार वृक्षों की छाया में ही झूला (प्रेंखा दोला) लगाया जाना चाहिए। यद्यपि पुराने कवि बकुल के पेड़ में ऐसी दोलाओं को लगा देखना चाहते थे, पर शिरीष भी क्या बुरा है! डाल इसकी अपेक्षाकृत कमजोर जरूर होती है, पर उसमें झूलनेवालियों का वजन भी तो बहुत ज्यादा नहीं होता। कवियों की यही तो बुरी आदत है कि वजन का एकदम खयाल नहीं करते। मैं तुंदिल नरपतियों की बात नहीं कह रहा हूँ, वे चाहे तो लोहे का पेड़ बनवा लें। शिरीष का फूल संस्कृत-साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। मेरा अनुमान है कि कालिदास ने यह बात शुरू-शुरू में प्रचार की होगी। उसका इस पुष्प पर कुछ पक्षपात था (मेरा भी है)। कह गए हैं, शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिल्कुल नहीं।
1. वात्स्यायन किसमें क्या बताया है?
2. पुराने कवि क्या देखना चाहते थे जबकि इस लेखक का क्या मत है?
3. शिरीष के कुल को सस्कृंत-साहित्य में क्या माना गया है?
4. कालिदास क्या कह गए है?
1. वात्सायन ने अपनी रचना ‘कामसूत्र’ में यह बताया है कि रमणियों के झुल्ने के लिए झूला वाटिका के सघन छायादार वृक्षों की छाया में ही लगाया जाना चाहिए।
2. पुराने कवियों के विचार से बकुल (मौलसिरी) के पेड़ में ऐसा झूला लगाना चाहिए। जबकि कवि का मत है कि इसके लिए शिरीष भी बहुत ठीक है। शिरीष की डाल कुछ कमजोर जरूर होती है, पर इसमें झूलने वाली रमणियों का वजन भी तो कम होता है। हाँ, यह मोटी तोंदवालों के लिए नहीं है।
3. शिरीष के फूल को संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है।
4. कालिदास यह कह गए हैं कि शिरीष का फूल केवल भौंरों के कोमल पदों का दबाव सहन कर सकता है। पक्षियो का दबाव वहीं नहीं सह सकता।



