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विष्णु खरे

Question
CBSEENHN12026668

राजकपूर ने किस बात से प्रेरित होकर फिल्मों में क्या प्रयोग किया?

Solution

राजकपूर ने चार्ली के नितांत अभारतीय सौंदर्यशास्त्र की इतनी व्यापक स्वीकृति देखकर भारतीय फिल्मों का एक सबसे साहसिक प्रयोग किया। उनकी फिल्म ‘आवारा’ सिर्फ ‘दि ट्रैंप’ का शब्दानुवाद ही नहीं थी बल्कि चार्ली का भारतीयकरण ही था। राजकूपर ने चैप्लिन की नकल करने के आरोपों की कभी परवाह नहीं की। राजकपूर के ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ के पहले फिल्मी नायकों पर हँसने की और स्वयं नायकों के अपने पर हँसने की परपरा नहीं थी। 1953-57 के बीच जब चैप्लिन अपनी गैर-ट्रैंपनुमा अंतिम फिल्में बना रहे थे तब राजकपूर चैप्लिन का युवा. अवतार ले रहे थे।

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एक होली का त्योहार छोड़ दें तो भारतीय परंपरा में व्यक्ति के अपने पर हँसने, स्वयं को जानते-बूझते हास्यास्पद बना डालने की परंपरा नहीं के बराबर है। गाँवों और लोक-संस्कृति में तब भी वह शायद हो, नगर-सभ्यता में तो वह थी ही नहीं। चैप्लिन का भारत में महत्त्व यह है कि वह ‘अंग्रेजों जैसे’ व्यक्तियों पर हँसने का अवसर देते हैं। चार्ली स्वयं पर सबसे ज्यादा तब हँसता है जब वह स्वयं को गर्वोन्मत्त, आत्म-विश्वास से लबरेज, सफलता, सभ्यता, संस्कृति तथा समृद्धि की प्रतिमूर्ति, दूसरों से ज्यादा शक्तिशाली तथा श्रेष्ठ, अपने को ‘वज्रादपि कठोराणि’ अथवा ‘दूनी कुसुमादपि’ क्षण में दिखलाता है।

1. होली का त्यौहार किस रूप में क्या अवसर प्रदान करता है?
2. अपने पर हंसने के सदंर्भ में लोक-सस्कृति एवं नगर-सभ्यता में मूल अतंर क्या था और क्यों?
3. ‘अंग्रेजों जैसे व्यक्तियों’ वाक्यांश में निहित व्यंग्यार्थ को स्पष्ट कीजिए।
4. चार्ली जिन दशाओं में अपने पर हंसता है, उन दशाओं में ऐसा करना अन्य व्यक्तियों के लिए संभव क्यों नहीं है?




लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा?

चैप्लिन ने न सिर्फ़ फि़ल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने और वर्ण व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इससे सहमत हैं?

लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों? गांधी और नेहरू ने भी उनका सान्निध्य क्यों चाहा?

लेखक ने कलाकृति और रस के इसके संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों? क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण ने सकते हैं जहाँ कई रस साथ-साथ आए हों?

जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को। कैसे संपन्न बनाया?

चार्ली चैप्लिन की फिल्मों में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र की परिधि में क्यों नहीं आता?

चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हंसता है?

आपके विचार से मूक और सवाक् फिल्मों में से किसमें ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता है और क्यों?

सामान्यत: व्यक्ति अपने ऊपर नहीं हँसते, दूसरों पर हँसते हैं। कक्षा में ऐसी घटनाओं का जिक्र कीजिए जब-

(क) आप अपने ऊपर हँसे हो ;

(ख) हास्य करुणा में या करुणा हास्य में बदल गई हो।