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फिराक गोरखपुरी

Question
CBSEENHN12026436

ऐसे में तू याद आये है अंजुमने-मय में रिंदों को

रात गये गर्दूं पॅ फरिश्ते बाबे-गुनाह जग खोलें हैं

सदके फिराक एजाजे-सुखन के कैसे उड़ा ली ये आवाज

इन गजलों के परदों में तो ‘मीर’ की गजलें बोले हैं।

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी द्वारा रचित गजल से ली गई हैं।

व्याख्या: शायर कहता है कि शराब की महफिल में शराबियों को तू (ईश्वर) याद आता है। पर जब रात बीत जाती है। तब आकाश में फरिश्ते पाप का अध्याय खोलते हैं। अर्थात् हमारे कर्मों को आकाश में ऊपर बैठे फरिश्ते देख रहे हैं।

फिराक (शायर) बेहतरीन शायरी पर कुर्बान जाता है। उसने यह आवाज कैसे उड़ा ली है। इन गजलों में तो मीर की गजलें बोलती जान पड़ती हैं। शायर फिराक पर मीर का विशेष प्रभाव है। उसने ‘सुना हो’, ‘रक्खों हो’ मीर की शायरी की तर्ज पर ही इस्तेमाल किए हैं। इस प्रकार बेहतरीन शायरी में ‘मीर’ की आवाज का आभास होता है।

विशेष: उर्दू शब्दों की भरमार है।

Some More Questions From फिराक गोरखपुरी Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

नहला के छलके-छलके निर्मल जल से

उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके

किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को

जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।

माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?

बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

दीपावली की शाम घर पुते और सजे

चीनी के खिलौने जगमगाते लावे

वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक

बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए

दीपावली पर लोग क्या करते हैं?

दीपावली पर बच्चे माँ से क्या फरमाइश करते हैं?

माँ के चेहरे पर मुस्कराहट क्यों आ जाती है?

माँ बच्चे की फरमाइश को कैसे पूरी करती है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

आँगन में ठुनक रहा है जिदयाया है

बालक तो हई चाँद पॅ ललचाया है

दर्पण उसे दे के कह रही है माँ

देख आईने में चाँद उतर आया है।

आँगन में कौन ठुमक रहा है?