‘नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोले हैं’-आशय स्पष्ट करो।
इस पंक्ति का यह आशय है कि नए रस से भरपूर कलियों की पंखड़ियों को कोमल गाँठे खुलने ही वाली हैं अर्थात् वे खिलने वाली हैं।
‘नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोले हैं’-आशय स्पष्ट करो।
इस पंक्ति का यह आशय है कि नए रस से भरपूर कलियों की पंखड़ियों को कोमल गाँठे खुलने ही वाली हैं अर्थात् वे खिलने वाली हैं।
फिराक गोरखपुरी का जीवन-परिचय एवं साहित्यिक परिचय दीजिए तथा रचनाओं का उल्लेख भी कीजिए।
हाथों पे बुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
कवि और कविता का नाम लिखिए।
कौन, किसे, कहाँ लिए खड़ी है?
माता अपनी संतान को किस प्रकार खिला रही हें?
बच्चा क्या करता है?
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।
माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?
बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक
बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए
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