Sponsor Area

फिराक गोरखपुरी

Question
CBSEENHN12026451

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
हम हों या किस्मत हो हमारी
दोनों को इक ही काम मिला
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं।
जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें।
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।

1. गजल की दो भाषिक विशेषताओं को बताइए।
2. काव्याशं की प्रथम दो पंक्तियों की व्यंजना स्पष्ट कीजिए।
3. भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।





Solution

1. गजल उर्दू कविता की एक शैली है। फिराक ने गजल में लोकभाषा के प्रतीकों का अनूठा प्रयोग किया है। गजल में दर्द भी होता है और शायर की ठसक भी।
2. काव्यांश की प्रथम दो पंक्तियों में कवि स्वयं को और अपनी किस्मत को एक समान बताता है। दोनों को एक ही काम मिला हुआ है-रोने का। कभी किस्मत उस पर रोती है तो कभी शायर किस्मत पर रो लेता है। दोनों की ही हालत खराब है।
3. खुद का परदा खोलने से आशय है कि अपने वास्तविक स्वरूप को दर्शाना। जब हम किसी दूसरे को नंगा करने का प्रयास करते हैं तब हम स्वयं नंगे हो जाते हैं। दूसरे के रहस्य को उजागर करना अपने को बेपर्दा करना है। यदि कोई व्यक्ति दूसरे की निंदा करता है तो वह स्वयं की बुराई कर रहा होता है। इसलिए शायर ने कहा है कि मेरा रहस्य खोलने वाले अपने रहस्यों को भी बता रहे हैं।

Some More Questions From फिराक गोरखपुरी Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी

हाथों पे बुलाती है उसे गोद-भरी

रह-रह के हवा में जो लोका देती है

गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।

कवि और कविता का नाम लिखिए।

कौन, किसे, कहाँ लिए खड़ी है?

माता अपनी संतान को किस प्रकार खिला रही हें?

बच्चा क्या करता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

नहला के छलके-छलके निर्मल जल से

उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके

किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को

जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।

माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?

बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

दीपावली की शाम घर पुते और सजे

चीनी के खिलौने जगमगाते लावे

वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक

बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए

दीपावली पर लोग क्या करते हैं?