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फिराक गोरखपुरी

Question
CBSEENHN12026450

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
नहला के छलके-छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।

1. इस काव्याशं में माँ की किन-किन क्रियाओं का उल्लेख हुआ है?
2. ‘छलके-छलके’ में किस अलंकार का सौदंर्य है?
3. भाषागत विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।




 

Solution

1. इन पंक्तियों में माँ तथा बच्चे की भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति हुई है। माँ बच्चे को साफ पानी से नहलाती है, उसके बालों की कंघी करती है। जब वह उसे कपड़े पहनाती है तब बालक माँ के मुख की ओर देखता है। बालक की क्रियाओं का स्वाभाविक वर्णन है।
2. ‘छलके-छलके’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
3. ‘घुटनियों’ तथा ‘पिन्हाती’ शब्द देशज हैं।
    उर्दू मिश्रित भाषा का प्रयोग है।
    दृश्य बिंब हैं।
    रुबाई है।

Some More Questions From फिराक गोरखपुरी Chapter

फिराक गोरखपुरी का जीवन-परिचय एवं साहित्यिक परिचय दीजिए तथा रचनाओं का उल्लेख भी कीजिए।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी

हाथों पे बुलाती है उसे गोद-भरी

रह-रह के हवा में जो लोका देती है

गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।

कवि और कविता का नाम लिखिए।

कौन, किसे, कहाँ लिए खड़ी है?

माता अपनी संतान को किस प्रकार खिला रही हें?

बच्चा क्या करता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

नहला के छलके-छलके निर्मल जल से

उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके

किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को

जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।

माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?

बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

दीपावली की शाम घर पुते और सजे

चीनी के खिलौने जगमगाते लावे

वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक

बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए