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हरिवंशराय बच्चन

Question
CBSEENHN12026058

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,

शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ।

A.

कवि के रोदन में भी क्या होता है?

B.

कवि की वाणी में किन विरोधी स्थितियों का समावेश रहता है?

C.

इस काव्याशं में किस अलंकार का प्रयोग है और कैसे? भाषा का नाम भी बताओ।

D.

‘रोदन में राग’ तथा ‘शीतल वाणी में आग’ विरोधाभास अलंकार का प्रयोग है। इसमें ऊपरी तौर पर विरोध दिखाई देता है, पर वास्तव में यह है नहीं, केवल आभास मात्र है।
खड़ी बोली का प्रयोग है।

Solution

A.

कवि के अपने रोने में भी एक प्रकार राग समाया रहता है। उसकी शीतल वाणी भी आग की दाहकता को अपने में समेटे रहती है।

B.

कवि की वाणी में शीतलता और आग, विरोधी स्थितियों का समावेश रहता है। उसकी वाणी लोगों के हृदयों में उत्साह का संचार कर देती है।

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मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ,

उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,

जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,

मैं, हाय 2 किसी की याद लिए फिरता हूँ,

कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना?

नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!

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मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,

मैं बना-बना कितने जग रोज मिटाता;

जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव,

मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता!

मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,

शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,

हों जिस पर भूपोंके प्रासाद निछावर,

मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ।

कवि के अनुसार उसका और संसार में क्या नाता है?

कवि और संसार में क्या विरोधी स्थिति है?