मैं और? और जग और कहाँ का नाता-पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए।
इस पंक्ति में ‘और’ शब्द के प्रयोग में चमत्कार है। इसका प्रयोग तीन बार हुआ है। ‘मैं और’ से तात्पर्य है कि मैं अन्य लोगों से हटकर हूँ, ‘जग और’-यह संसार और ही प्रकार है। इन दोनों के मध्य आया ‘और’ योजक के रूप में आया है।
‘और’ शब्द दोनों संबंधों के मध्य अंतर को स्पष्ट कर रहा है। कवि स्वयं को समाज से हटकर अलग मानता है। उसमें और समाज में अलगाव है। दोनों में कोई नाता नहीं हैं।